कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने जनवरी-फरवरी में CBSE बोर्ड की परीक्षाएं न कराने का फैसला लिया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने ये घोषणा की है. परीक्षा की तारीखों को लेकर बाद में ऐलान किया जाएगा.
कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने जनवरी-फरवरी में CBSE बोर्ड की परीक्षाएं न कराने का फैसला लिया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने ये घोषणा की है. परीक्षा की तारीखों को लेकर बाद में ऐलान किया जाएगा.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आज यहाँ शिक्षा संवाद के 22वें संस्करण के तहत शिक्षकों के साथ लाइव इंटरैक्शन में ऑनलाइन शिक्षा, बोर्ड परीक्षा, प्रवेश परीक्षा, मूल्यांकन के स्वरुप, शिक्षकों की ट्रेनिंग और शिक्षा संबंधी अन्य मुद्दों पर विस्तृत बातचीत की. इस शिक्षा संवाद में देश भर के हज़ारों शिक्षकों ने हिस्सा लिया और शिक्षा संबंधी विभिन्न मुद्दों पर कई सवाल किए जिसके जवाब देकर शिक्षा मंत्री ने सभी की आशंकाओं एवं चिंताओं को दूर किया.
शिक्षा मंत्री कोरोना संकट काल के दौरान समय समय पर छात्रों, शिक्षकों एवं अभिभावकों से समय समय पर संवाद करते रहे हैं और उन्हें इस कठिन समय में प्रेरित किया. इन संवादों में माननीय मंत्री जी ने आचार्य देवो भवः, विश्वविद्यालयों की परीक्षा, मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण जैसे मुद्दों पर चर्चा की.
सभी को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा, ” मैं हमेशा से ही शिक्षकों के साथ बातचीत करने, उनकी आशाओं और आकांक्षाओं को समझने और उसके अनुसार काम करने के लिए उत्सुक रहा हूं. जब मैं शिक्षकों की बात करता हूं, तो मैं एक शिक्षक के रूप में अपने प्रारंभिक वर्षों की याद ताजा करता हूं. मुझे याद है कि मैं और मेरे सहयोगी अपने छात्रों को सर्वश्रेष्ठ ज्ञान देने के लिए सदैव तत्पर रहते थे. उन्हें अपने जीवन में प्रगति करते देखना अभी भी एक बहुत ही खूबसूरत एहसास है. शिक्षकों में पाया जाने वाला पैशन और कंपैशन अप्राप्य है और यही कारण है कि एक शिक्षक अपनी भूमिका से कभी सेवानिवृत्त नहीं हो सकता.”
इस महामारी के दौर में शिक्षकों की भूमिका की प्रशंसा करते हुए डॉ निशंक ने कहा, “मल्टी मॉडल लर्निंग के विकास को देखते हुए मेरा मानना है कि शिक्षकों की भूमिका भी बदल रही है और हमारे शिक्षक इस नई भूमिकाओं के निर्वहन में कामयाब भी हो रहे हैं. शिक्षक की भूमिका अब सोर्स ऑफ नॉलेज से हट कर प्रोसेस ऑफ नॉलेज क्रिएशन की ओर बढ़ रही है.
शिक्षकों की बदलती भूमिकाओं के साथ,राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सुझाव है कि शिक्षकों को सुधार के लिए और अपने कार्यक्षेत्र में नवीनतम नवाचारों को सीखने के लिए निरंतर अवसर दिए जाएंगे. इन्हें स्थानीय, क्षेत्रीय, राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यशालाओं के साथ-साथ ऑनलाइन शिक्षक विकास मॉड्यूल के रूप में कई तरीकों से सशक्त और क्षमतावान बनाया जाएगा. प्रत्येक शिक्षक से यह अपेक्षा की जाएगी कि वे अपने स्वयं के व्यावसायिक विकास के लिए हर साल कम से कम 50 घंटे के सीपीडी अवसरों में भाग लें, जो उनके स्वयं के हितों से प्रेरित हों.”
इसके अलावा केंद्रीय मंत्री ने बताया कि उत्कृष्ट राष्ट्रीय/सेवानिवृत्त संकाय सदस्यों के एक बड़े पूल के साथ – भारतीय भाषाओं में पढ़ाने की क्षमता रखने वाले लोगों के लिए एक राष्ट्रीय मेंटरिंग मिशन की स्थापना की जाएगी जो शिक्षकों को रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफार्म करने में सक्षम बनाएगी. उन्होनें शिक्षकों से कहा कि आप न केवल पढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकते हैं, बल्कि छात्रों से जुड़ने के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
शिक्षा मंत्री ने शिक्षा मंत्रालय द्वारा नई शिक्षा नीति और शिक्षकों एवं उनके प्रशिक्षण के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी सबको अवगत करवाया और कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक नए शिक्षा प्रतिमान विकसित करेगी. यह भारत की अगली पीढ़ी को प्रतिस्पर्धी लाभ भी देगी तथा भारत को फिर से विश्वगुरु बनने में सक्षम भी बनाएगी. इस नीति के आप सभी ब्रांड एंबेसडर हैं और यह आपके द्वारा और आपके लिए ही बनाई गई है. अब हम सबको मिलकर इस नीति को सफल बनाना है. इसके लिए विचार-विमर्श, संवाद/डिस्कशन की प्रक्रिया और ऐसे प्लेटफार्म को हम सदैव जारी रखेंगे.”
इसके अलावा शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन शिक्षा, बोर्ड परीक्षा, प्रवेश परीक्षा, मूल्यांकन के स्वरुप, शिक्षकों की ट्रेनिंग और शिक्षा संबंधी अन्य मुद्दों पर पूछे गए सवालों का भी जवाब दिया.
शिक्षकों के प्रशिक्षण पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा, “मंत्रालय ने देश के सभी 42,00,000 प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों और स्कूल प्रमुखों को प्रशिक्षित करने के लिए निष्ठा (राष्ट्रीय शैक्षिक स्कूल शिक्षा संस्थान और शिक्षकों के लिए शैक्षिक संस्थान) ऑनलाइन शुरू किया गया. इस महामारी के पहले यह कार्यक्रम फिजिकल रूप से आयोजित किया जाता था.
इस कार्यक्रम को महामारी के दौरान शिक्षण और सीखने की जरूरतों के लिए प्रासंगिक बनाया गया था और इसे 100% ऑनलाइन बनाया गया था. इसके अलावा सीबीएसई, केवीएस और जेएनवी ने जहां भी संभव हो, ऑनलाइन साधनों के माध्यम से सीखने की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए, लॉकडाउन शुरू होते ही अपने शिक्षकों की ऑनलाइन शिक्षण क्षमता बनाने के लिए भागीरथ प्रयास किया. इस प्रक्रिया में सीबीएसई ने 4,80,000 शिक्षकों (अप्रैल-सितंबर 2020 के दौरान), केवीएस ने 15855 और जेएनवी ने 9085 शिक्षकों को पूरे भारत में प्रशिक्षित किया है. एनवीएस द्वारा शिक्षकों को ऑनलाइन मूल्यांकन और जियोजेब्रा के संबंध में प्रशिक्षण भी दिया गया.”
उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षकों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण के बाद कई बाइट-आकार के मॉड्यूल भी तैयार किए गए और उनका प्रचार-प्रसार किया गया और केवीएस में शिक्षा और प्रशिक्षण के जोनल संस्थानों द्वारा आयोजित ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में विभिन्न शिक्षण प्लेटफार्मों के उपयोग, विभिन्न ई-संसाधनों के विकास और उपयोग और छात्रों के ऑनलाइन मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित किया गया.
इसके अलावा केंद्रीय मंत्री बोर्ड परीक्षाओं, प्रवेश परीक्षाओं, ऑनलाइन शिक्षा जैसे विषयों पर भी सवालों के जवाब दिए और शिक्षकों को इस महामारी के दौरान किए गए कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि मुझे आशा है कि एक शिक्षक के रूप में, आप हमेशा सर्वश्रेष्ठ ज्ञान के साथ छात्रों को ज्ञान देना जारी रखेंगे और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में योगदान देंगे.